स्टीव जॉब्स
Think Different (Steve Jobs )
आइन्स्टाइन की तरह ही स्टीव जॉब्स ने भी साइंस और इंसानियत दोनों की तरक्की के लिए अपनी क्षमताओं का बेहतर उपयोग किया था. इंजीनियरिंग दिमाग ke saath saath jobs creative bhi the aur इन्ही खूबियों का तालमेल से एक महान इनोवेटर बनता है जो कि वे खुद है.जॉब्स अपनी इसी रचनाशीलता से पर्सनल कम्प्यूटर की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला पाए.सिर्फ इतना ही नहीं music , डिजिटल पब्लीशिंग और एनिमेटेड मूवीज में भी उनकी बदौलत एक नए दौर की शुरुवात हुई.बेशक उनकी personal life या unki personality एक मुक्कमल तस्वीर नहीं बनाती मगर फिर भी वे अपने काम से हमेशा लोगो की जिंदगी प्रभावित करते रहेंगे और inspiration ka source बने रहेंगे.Think Different (Steve Jobs )
बचपन
छोटी उम्र में ही स्टीव जॉब्स jaan चुके थे कि उन्हें गोद लिया गया है.और ये बात उनके पिता पॉल जॉब्स और माँ क्लारा हागोपियेन (Clara Hagopian) ने उनसे कभी भी नहीं छुपाई.जन्म के बाद से ही उन दोनों ने स्टीव को पाला था.Jab steve jobs 4 saal ke the vo apne padosi ke ghar par ek ladki ke saath khel rhe the.AUr steve ne us ladki ko bataya ki unhe adopt kiya gaya hai.Is baat par vo ladki boli ki iska matlab to hai ki tumhare asli maa baap tumhe pasand nhi karte the, isiliye unhone tumhe chodha.Is par steve jobs bhaag kar apne ghar gaye aur ye baat unhone apne parents ko batayi.Ispar unke parents ne unhe kaha ki suno steve “humne tumhe isiliye chuna tha kyunki tum sabse alag ho bhaut ख़ास ho, special ho”.और शायद इसी वजह से स्टीव आत्मनिर्भर और मजबूत इरादों के इंसानबन पाए|
उनके कार मेकेनिक पिता उनके पहले हीरो थे.बचपन में ही स्टीव जॉब्स इलेक्ट्रोनिक्स में kafii interested the.हालांकि वे पढ़ाई में कभी bhaut ache नहीं रहे.क्लास में बैठना उन्हें अक्सर boring लगता था.अपने हुनर से वे अक्सर कुछ ना कुछ शरारत भरा किया करते.और ये सिलसिला ग्रेड स्कूल से लेकर कोलेज तक चलता रहा.
Think Different (Steve Jobs )
वोजनिएक Wozniak
(Homestead High) होम्सस्टेड हाई में एक कॉमनfriend के ज़रिये स्टीव वोजनिएक और स्टीव जॉब्स की मुलाक़ात हुई.दोनों स्टीव्स बचपन से ही इलेक्ट्रोनिक्स और मशीन में गजब के प्रतिभाशाली थे.जहाँ स्टीव जॉब्स अपने पिता की ही तरह एक businessman बनना चाहते थे, वहीँ स्टीव वोज (Steve Woz) के पिता जिन्हें मार्केटिंग से चिढ़ थी उन्होंने उन्हें इंजीनियरिंग में कुछ बेहतरीन करने के लिए प्रेरित किया
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उम्र में जॉब्स से 5 साल बड़े होने के बावजूद वोज बेहद शर्मीले और हद से ज्यादा पढ़ाकू थे.अपने कॉमन दोस्त की गैराज में वे जॉब्स से पहली बार मिले थे.इलेक्ट्रोनिक्स में गहरी रूचि के साथ ही बॉब डायलन ke music ने भी उनकी जोड़ी जमा दी थी.
Think Different (Steve Jobs )
कालेज ड्राप आउट College drop-out
जहाँ वोजनियेक ने बर्कली युनिवेर्सिटी जाने के फैसला कर लिया था वहीँ जॉब्स अभी confusion में ही थे कि अपने लिए कौन सा कॉलेज चुने.क्योंकि स्टीव जॉब्स ke asli parents ne unhe isi शर्त पर गोद दिया था कि उनकी स्कूली पढ़ाई पूरी कराई जायेगी.इसलिए उनके adoptive parents को उनकी कॉलेज फीस जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी.
जॉब्स ने फैसला किया कि वे नजदीकी स्टेंडफोर्ड युनिवेर्सिटी नहीं जायेंगे.वे किसी ऐसी जगह जाना चाहते थे जो उससे ज्यादा artistic और interesting हो.मगर उनके इस फैसले को उनके parents की मंज़ूरी नहीं मिली बावजूद इसके जॉब्स ने रीड कॉलेज, पोर्टलैंड ऑरेगोन में दाखिला ले लिया.सिर्फ एक हजार students वाला ये एक कॉलेज बड़ा महंगा था.और फिर अपने हिप्पी कल्चर के लिए मशहूर भी था.
रीड कॉलेज में पढने के दौरान कुछ ही समय बाद जॉब्स को लगा कि जो कोर्स उन्होंने चुना था वो उनके सपनो के आड़े आ रहा था.जो चीज़े वो सीखना चाह रहे थे, नहीं सीख पा रहे थे.और तब उन्होंने कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया.अब वो जो पसंद आता वही सीखने लग जाते जैसे कि कैलीग्राफी.रीड में पढ़ाई के दौरान उन्हें हिप्पी कल्चर पसंद आने लगा था.जेन बुधिस्म पर उन्होंने सैकड़ो किताबे पढ़ डाली और pure vegetarian ban gaye.उन्होंने बाल कटवाना छोड़ दिया था और पूरे केम्पस में नंगे पाँव घूमा करते.
Think Different (Steve Jobs )
एप्पल I
स्टीव वोजनिएक और स्टीव जॉब्स ने कई तरह के छोटे मोटे स्टार्टअप बिजनेस किये.जहाँ वोजनिएक अपने बनाये डिजाएन केवल बेचने तक सिमित थे वहीँ जॉब्स कुछ ऐसे प्रोडक्ट बनाकर बेचना चाहते थे जो unique ho aur unse paise kamaye jaa sake.
सबसे पहले तो उन्हें एक नाम तय करना था.मेट्रिक्स जैसे टेक्नोलोजीकल और पर्सनल कंप्यूटर इंक जैसे कुछ boringनाम उनके दिमाग में आये भी मगर फिर एप्पल नाम उन्हेंinteresting laga जो कुछ अलग लग रहा था.इस नाम को चुने जाने की वजह सिर्फ यही नहीं थी कि जॉब्स एक एप्पल फार्म में घूमकर आये थे बल्कि सुनने में एप्पल कंप्यूटर नाम बड़ा मजेदार और शानदार लगता था.
उस वक्त तक वोज HP (एच पी) के लिए काम कर रहे थे.उन्होंने वहां अपना बनाया सर्कट बोर्ड (circuit board)लगाना चाहा .उनका ये प्रोडक्ट नया था और पहले कभी इस्तेमाल नहीं हुआ था इसलिए उसे नकार दिया गया.इससे निराश होकर वोज ने फिर जो भी प्रोडक्ट बनाये वे 100 फीसदी सिर्फ एप्पल के लिए बनाये.जॉब्स का यही मानना था कि उनकी team isiliye perfect thi kyunki vo dono opposite the.एक ओर वोज जहाँ बहुत प्रतिभाशाली तो थे मगर लोगो से मिलने-जुलने में कतराते थे, वहीँ जॉब्स kiखासियत थी कि वे किसी से भी बातचीत कर सकते थे और अपना काम निकलवाने में माहिर थे.
एक कंप्यूटर स्टोर का मालिक, पॉल टेरेल उनका पहला ग्राहक बना.उसने उन्हें $500 per piece के हिसाब से 50 सर्कट बोर्ड का आर्डर दिया.क्रेमर इलेक्ट्रोनिक्स (Cramer Electronics) के मेनेजेर को विश्वास में लेकर उससे $25,000 का उधार लेने के बाद जॉब्स, वोज और उनकी बहन पैटी, अपनी पूर्व प्रेमिका एलिज़बेथ होम्स और एक दोस्त डेनियल कोट्के के साथ मिलकर काम में जुट गए.और इस तरह लोस एल्टोस में जॉब्स के घर की गैराज से एप्पल की शुरुवात हुई.
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त्यागपत्र
लीजा प्रोजेक्ट जॉब्स के हाथो से छीनकर उन्हें बोर्ड का नॉन- एक्जीक्यूटिव सदस्य बना दिया गया था. बेशक उनके पास एप्पल के 11% शेयर थे फिर भी उनके पास अब ज्यादा अधिकार नहीं रहे.1985 में उन्होंने प्रेजिडेंट जॉन स्क्ली से कहा कि वे एक अलग कंपनी खोलना चाहते है. जॉब्स ने कहा कि उनकी ये कम्पनी एप्पल से अलग होगी मगर उसकीcompetitor नहीं होगी.
जॉब्स ने अपनी इस नयी कंपनी का नाम नेक्स्ट NeXT रखा.उन्होंने स्क्ली से कहा कि उन्हें 5 लो लेवल employeesचाहिए जिन्हें वे नेक्स्ट में रख सके. जब जॉब्स ने स्क्ली को 5 कर्मचारियों के नाम बताये तो स्कली नाराज़ हो गए क्योंकि जिन लोगो के नाम जॉब्स ने सुझाये थे, वे बिलकुल भी लो लेवल के नहीं थे. बोर्ड मेम्बर को लग रहा था कि जॉब्स अब कंपनी के प्रति ईमानदार नहीं रहे और एक चेयरमेन के तौर पर अपने फ़र्ज़ से मुंह मोड़ रहे है. सबने एकजुट होकर जॉब्स का विरोध करने का निर्णय लिया.
मीडिया में इस बात की चर्चा जोरशोर से होने लगी कि जॉब्स को चेयरमेन के पद से निकाला जा रहा है. मगर त्यागपत्र का ख्याल उनके मन में तब से ही था जब उन्होंने नेक्स्ट के बारे में सोचा था. आखिर में उन्होंने एक्जीक्यूटिव माइक मर्क्कुला (Mike Markkula) को अपना त्यागपत्र मेल कर दिया.
जॉब्स के त्यागपत्र की ये कुछ पंक्तिया थी ”अब कंपनी एक ऐसा रवैया दिखाती नजर आ रही है जो मेरे और मेरे new venture ke liye safe नहीं लग रहा है....जैसा कि आप जानते है कि कंपनी की नयी guidelines में मेरे लिए करने को कुछ अधिक नहीं बचा, यहाँ तक कि रेगुलर मेनेजमेंट रिपोर्ट पर भी मेरा कोई अधिकार नहीं रह गया है. मै अभी सिर्फ 30 का हूँ और बहुत कुछ हासिल करने की इच्छा रखता हूँ “.
जोर्ज लुकास (George Lucas) अपने कंप्यूटर डिवीज़न के लिए किसी खरीददार की तलाश में थे. एक दोस्त ने जॉब्स को सलाह दी कि उन्हें लुकास फ़िल्म कंप्यूटर डिवीज़न के प्रमुख एड केटमल (Ed Catmull) से मिलना चाहिए. जॉब्स टेक्नोलोजी के साथ आर्ट ko milane me bhaut zaada interested the. जब वे डिवीज़न गए तो वहां का काम देखकर पूरी तरह हैरान रह गए.
डिवीज़न मुख्य रूप से डिजिटल इमेजेस के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर बेच रहा था. दूसरी तरफ यहाँ पर एनीमेटर्स(animators) थे जो शोर्ट फिल्म्स बनाया करते थे. इस छोटी सी एनिमेशन टीम के मुखिया थे जॉन लासेटर (John Lasseter). जॉब्स ने तुरंत ही ये डील पक्की कर ली और 70 % शेयर उनके हो गए.
इस डिवीज़न का सबसे ख़ास प्रोडक्ट था PIXAR इमेज कंप्यूटर. और इसलिए नयी कंपनी का नाम भी PIXAR रखा गया. इसके 3डी ग्राफिक इमेजिंग सोफ्टवेयर में डिज्नी ने बहुत रूचि दिखाई. उन दिनों डिज्नी का एनिमेशन डिपार्टमेंट बुरी हालत में था. PIXAR का सोफ्टवेयर पहली बार डिज्नी के “लिटिल मरमेड” में इस्तेमाल किया गया.
इसी बीच जॉन लासेटर (John Lasseter) और जॉब्स मिलकर एक ऐसी कहानी सोच रहे थे जो बेजान चीजों की भावनाओं के बारे में हो. लासेटर एक होनहार एनिमेटर थे जो केलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आर्ट् से पढ़कर निकले थे. जब टॉय स्टोरी को बेशुमार सफलता मिली तो एक असमंजस पैदा हुआ कि ये डिज्नी की फिल्म हो या John Lasseter की |तब जॉब्स डिज्नी के साथ टॉय स्टोरी और बाकी की एनीमेशन फिल्मो के मालिकाना हक़ में बराबर की हिस्सेदारी के लिए तैयार हो गये.
Osm story
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